Tuesday, September 28, 2010

यादें

कुछ लोग यूँ ही मिल जाते हैं अचानक से

कुछ साथ रह जाते हैं ज़िन्दगी भर के लिए

तो कुछ बस यूँ ही चलते हैं साथ पल दो पल के लिए

यादो में हम बस यूँ ही खो जाते हैं

जब वो लोग हमसे जुदा हो जाते हैं

कुछ के तो चेहरे भी धुंधला जाते हैं

पर कुछ हमारी आँखों में बस जाते हैं

कुछ दोस्त बनके हमारे आस पास नज़र आते हैं

तो कुछ यूँ ही परछाइयो में खो जाते हैं

कुछ की यादें हमें हर वक़्त हँसाती हैं

वही कुछ की यादें हमें आँसू दे जाती हैं

कुछ मिलते हैं हमारे रंग में खो जाते हैं

कुछ अपने जीवन के कुछ रंग हमें दे जाते हैं

कुछ जाने के बाद फिर मिल जाते हैं

कुछ जाते हैं, आते हैं, फिर चलें जाते हैं

यादें ही हैं जो साथ निभाती हैं

कभी हँसाती हैं तो कभी गुदगुदाती हैं

--लक्की

११ सितम्बर २००९

2 comments:

Patali-The-Village said...

बहुत अच्छी लीगी कविता... धन्यवाद|

Neeraj Mathpal said...

यादों में छिपा प्रेम है, जो असल मन साथ देता है| अपनत्त्व का महत्त्व है ही कुछ ऐसा| अच्छी कविता है|