Thursday, October 8, 2009

तुम हो

हर बात में तुम हो
मेरे हर जज्बात में तुम हो
इस रात में तुम हो
मेरे हर अहसास में तुम हो
पानी की बूँदें बनकर
लहरा जाते हो मेरे बालो में
सोचते ही सोचते
आ जाते हो मेरे ख्वाबो में
तनहा में कभी रह न पाई
जिंदगी में जब से तुम हो
एक कदम जो ही लड़खादय
थमते मिले तुम हो
मेरे हर अंदाज़ में तुम हो
मेरे हर ख्याल में तुम हो
आशाओ के पंख लगाकर
जब भी उड़ने लगती हु
हाथ थाम कर मेरा और आगे ले जाते हो
मुझे हँसाते हो,मुझे रुलाते हो
ज़िन्दगी के हर पहलु से रूबरू करते हो
खुद के कैसे चोट पहुचाऊ
जब मेरी ज़िन्दगी ही तुम हो
आब तो में में न रही
बस तुम हो तुम ही तुम हो