Thursday, October 21, 2010

आज नहीं वो मेरे पास

आज सुबह हुई दो लोगो की याद के साथ
जो आज नहीं मेरे साथ मेरे पास

कोई था जिसके कदम मदमस्त नाचते थे
कोई था जिसके खूब पक्के इरादे थे
जिसकी बोली में हमेशा एक चहक सी रहती थी
जिसके बातो में जेसे ठंडी हवा बहती थी

कोई था जो एकदम सीधा साधा था
कोई था जिसने किया आसमान छूने का वादा था
जिसकी आँखों में शांत सा समंदर था
जिसकी सोच में उसके दिल का दर्पण था


एक से मेरी होती लगभग हर दिन बात थी
दूसरे से बस होती सिर्फ मुलाकात थी
एक ने मुझे अपनी यादो में शामिल किया था
दूसरे ने सबके मन पे कब्ज़ा किया था

अचानक से आई आज उनकी याद
जो नहीं हैं आज किसी के भी साथ
एक ने खुद को मौत को बुला लिया
तो दूसरे को खुद मौत ने गले लगा लिया

कुछ अनकहे सवाल
कुछ उलझे से जवाब
ले गए वो लोग अपने जीवन के साथ

-लक्की
२१ अक्टूबर २०१०