"लेम्प से लटकी परी" (भाग १)
क्या शीर्षक हैं यह आ सब सोच रहे होंगे लेकिन ये खाली किसी कहानी का शीर्षक नहीं एक सच्चाई हैं ..अमरीका के फ्लोरिडा के एक घर की सच्चाई ..जहाँ एक परी वास्तव में सफ़ेद वेशभूषा में एक लेम्प से लटकी हैं। घबराएं नहीं ये कोई भूतिया कहानी नहीं हैं । वेसे तो इस घर में एक भालू,एक कुत्ता ,गुब्बारे फोड़ने के गेम में जीती हुई एक मछली और एक बन्दर भी हैं लेकिन इनका जिक्र इसलिए नहीं करेंगे क्योंकि ये सब अपनी जगह विराजमान हैं जेसे भालू कुर्सी पर,मछली कही सोफे के नीचे घुसी सी हुई,कुत्ता टीवी के नीचे और बन्दर टीवी के ऊपर सजा हुआ हैं लेकिन परी वो तो बस लटकी हैं वो भी एक लेम्प के सहारें ..हाई re किस्मत...वो भी परी की किस्मत...ऐसे लटकते हुए भी परी के चेरे पे एक मुस्कराहट हैं ..यकीं न आयें तो उसके गुलाबी गालो और chamakti आँखों को देख ले॥
कहा से आई ये परी...? स्वर्ग से ? आरें नहीं बाबा । ये आई एक ऐसी दुकान से जहा हर सामान एक डोल्लर का मिलता हैं...जी हाँ सही सुना आपने हर सामान एक dollar ..मेढक भी ek dollar तो तो परी भी...यानि एक आम आदमी भी परी अफ्फोर्ड कर सकता हैं ...हैं na kamal की बात...
अमरीका की होते हुए भी परी की वेशभूषा को देखिये कितनी भारतीयता झलकती हैं इसके कपड़ो से... अब सवाल ये उठता हैं की ये लेम्प से लटकी क्यों हैं ? क्यों ? क्यों? आखिर क्यों? तो जनाब ये में आप सब लोगो को बताना चाहूंगी की परी के घर में पहले कदम से ही वो लेम्प पर नहीं लटक गयी बल्कि उसे पहले लाइट on/ऑफ करने के बटन से अटकाया गया लेकिन दिक्कत परेशानी तब आई जब लाइट ओन ऑफ करने के दौरान उसे बार बार उतरा जाता और बार बार लटकाया जाता..परी के लिए ऐसी कोई जगह चैयेथी जहा उसे कोई रुकावट और खेद के बिना बार बार लगातार लटके रहना होता...उसे दो तीन जगह और भी latkaya गया लेकिन वाही dhaak के तीन पात...वो गिरती रही ॥ बाद में उसे ऐसे ही लेम्प पे अटकाया गया ,और ये क्या वो अटकी रही बिना गिरे..आश्चर्य तो तब हुआ जब वो हफ्ते दर हफ्ते लटकी रही मुस्कुराती हुई..लेम्प के सहारे...और latki रही कया latki हैं..मेरा मतलब लटकी हैं अभी तक और न जाने कब तक..आब आप ही batao क्या इस घर में रहने वाले लोगो को अपने बहुमूल्य समय से कुछ सेकंड्स निकल कर एक उचित स्थान पर एक कील थोक कर परी को सजा देना चैये या ऐसे ही लेम्प पे लटके रहने देना चाहिए ?