Tell your brain to swim in rever of real and imaginary thoughts to Quench your Creative Thirst !!
Tuesday, February 12, 2008
मंजील की तलाश
सोचा कभी यू ही ..... चल देते हैं दो कदम ... रुक कर जरा देखा .... वही खड़े थे हम .... लगता तो था बढ़ चले ... दुनिया के साथ हम .... पर रह गए यू ही ... खुद की राह में ये कदम ......
No comments:
Post a Comment