Tuesday, May 14, 2013

तुम्हे  नहीं  इस ज़िन्दगी से प्यार
क्यों नहीं दे देते मुझे अपनी ज़िन्दगी उधार
पंख लगा उड़ने को हूँ में तैयार
दे दो मुझे ये जिन्दी उधार

तड़पता हैं मेरा ये पागल मन
रोज नाचती हंसती खुशियों  के लिए
मरते हैं रोज मेरे सपने इस देहलीज तले
लगा दो पंख मुझे , कर दो मुझे इस कैद से आजाद
दो पल ही सही पर दे दो मुझे ज़िन्दगी उधार

Dedicated to my sister

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