Friday, March 21, 2008

तुम

किया तलाश तुमको
पाया हमेशा पास
कौन हो तुम
मेरा ही साया या मेरा ही अहसास
जो भी हो मुझे खुद सी लगी
कभी अनजानी तो कभी अपनी सी लगी
जब भी भीगा मेरा दामन
आकर सम्भाला तुमने
आवाज़ देकर फिर
पुकारा भी तुमने
सोचा नहीं था कभी
होगा ऐसा भी कोई
दुनिया ही बदल जाएगी
जिसके आने से मेरी
कभी रोया ... कभी चिल्लाया ... कभी मुस्कराया हूँ
तुम नहीं थी तो यही कर पाया हूँ

- लक्की शर्मा

1 comment:

Anil Satija said...
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