किया तलाश तुमको
पाया हमेशा पास
कौन हो तुम
मेरा ही साया या मेरा ही अहसास
जो भी हो मुझे खुद सी लगी
कभी अनजानी तो कभी अपनी सी लगी
जब भी भीगा मेरा दामन
आकर सम्भाला तुमने
आवाज़ देकर फिर
पुकारा भी तुमने
सोचा नहीं था कभी
होगा ऐसा भी कोई
दुनिया ही बदल जाएगी
जिसके आने से मेरी
कभी रोया ... कभी चिल्लाया ... कभी मुस्कराया हूँ
तुम नहीं थी तो यही कर पाया हूँ
- लक्की शर्मा
1 comment:
Post a Comment